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एक दिशा, एक एहसास, नयी शुरुआत और एक कोशिश...यहीं से शुरू है यह छोटा सा प्रयास...अपनी अनुभूतियों के निर्झर स्रोत को एक निश्चल और अंतहीन बहाव देने का...

My Poems and Songs

Friday, November 30, 2007

यों मिली खुशी...


यों मिली खुशी...

फूलों के रंग से, सौरभ और मकरंद से
पवन की तरंग से, समीर के स्पंद से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस विहंग से।

भँवरे की गुंजन से, तितली की उमंग से
पाखी के रंजन से, दिलों के मृदंग से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस संगम से।

मौसम के बसंत से, महुए की सुगंध से
पीत के अनंत से, बयार की गंध से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस आनंद से।

प्रेयसी की प्रीत से, मन के मीत से
वादी के संगीत से, कोयल के गीत से
यों मिली खुशी,
वसुधा की इस रीत से।

© अरविन्द

9 सितंबर 2007

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